मोटर किसे कहते है :- वैधुतिक ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित करने वाली मोटर कहलाती हैं।
डी. सी. मोटर का सिद्धांत (Principle of DC Motor) :- डी. सी. जेनरेटर विद्युत धारा के कारण आर्मेचर भी अपने आप एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करता हैं। यह चुम्बकीय क्षेत्र, आर्मेचर को उसकी घुमवा दिशा के विपरित दिशा में घूमने का प्रयास करता हैं यह प्रयास विद्युत चुम्बकीय खिंचवा कहलाता हैं। यह खिंचवा ही डी. सी. मोटर के आर्मेचर में घूर्णन गति के रूप में यांत्रिक उर्जा में उत्पन्न करता हैं।
फेलमिंग का बाए हाथ का नियम (Fleming’s Left Hand Rule) :- किसी चुम्बकीय क्षेत्र में विद्युत धारावही चालक में उत्पन्न होने वाली टार्क की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग नामक वैज्ञानिक ने एक नियम बनाया था, जो फ्लेमिंग का बाए हाथ का नियम कहलाता हैं।
घूर्णन दिशा को प्रिवर्तित करना (Changing The Direction of Rotation) :- किसी डी. सी.मोटर की घूमने की दिशा को परिवर्तित करने के लिए निम्न में से कोई एक विधि अपनाई जा सकते हैं।
क्षेत्र धारा की दिशा परिवर्तित करके (By Changing the Direction of Field Current) :- डी. सी. मोटर की घूमने की दिशा में प्रवर्तित करने के लिए क्षेत्र वाइंडिंग में विद्युत धारा प्रवाह की दिशा प्रवर्तित कर दी जाती हैं। इस प्रकार उतरी ध्रुव के स्थान पर दक्षिणी ध्रुव आ जाता हैं। फैलमिंग के बाए हाथ के नियम के अनुसार फलक्स की दिशा प्रवर्तित हो जाने से आर्मेचर की घुमाव की दिशा भी परिवर्तित हो जाती हैं।
मोटर में बैक ई. एम. एफ. (Back E M F in DC Motor) :- डी. सी. मोटर का आर्मेचर जैसे ही घूमना चालू करता हैं, वह फील्ड पोल्स द्वारा स्थापित चुम्बकीय फ्लक्स का छेदन करने लगता हैं। फैराडे के विद्युत चुम्बकीय नियम के अनुसार आर्मेचर चालको में एक वि. वा. ब. उत्पन्न हो जाता हैं। यह उत्पन्न वी. वा. ब. आर्मेचर पर विपरित दिशा में कार्य करता हैं। यह विरोध वी. वा. ब. या बैक ई. एम. एफ. कहलाता हैं।
आर्मेचर टार्क (Armature Torque) :- माना की मोटर के आर्मेचर द्वारा विकसित टार्क (न्यूटन मीटर में ) हैं एवं आर्मेचर की गति (RPM मैं) N हैं।
डी. सी. मोटर्स निम्न प्रकार के होते हैं :-
- डी. सी. सीरीज मोटर
- डी. सी. शण्ट मोटर
- डी. सी. कंपाउंड मोटर
डी.सी.सीरीज मोटर (DC Series Motor) :- इस मोटर में पूर्ण आर्मेचर धारा फील्ड वाइंडिंग में से होकर प्रवाहित होती हैं, इसलिए फील्ड वाइंडिंग को मोटे तार तथा कम लपेटो वाला बनाया जाता हैं।
डी. सी. शण्ट मोटर ( DC Shunt Motor ) :- डी . सी . शण्ट मोटर में शण्ट फील्ड वाइंडिंग, आर्मेचर तथा सप्लाई स्रोत के समान्तर क्रम में संयोजित होती है। अतः फील्ड का मान लगभग स्धिर रहता हैं।
डी. सी. कंपाउंड मोटर (DC Compound Motor) :- जिस डी. सी. मोटर में दो प्रकार की फील्ड वाइंडिंग या सीरीज तथा सॉफ्ट फील्ड वाइंडिंग प्रयोग की जाती हैं, वह कंपाउंड मोटर कहलाती हैं।